क्षमा कर देना उत्तम बदला है
जिस समाज में छोटी सी भी आपदा के आने पर मृत्यु जीवन की अपेक्षा अधिक आमंत्रित लगे, उन विकट परिस्थितियों में जन्म से अनाथ होने के उपरांत भी उसकी आस्था की किरण मंद नहीं हुई वह तो स्वंय प्रकाश की उस उज्जवल किरण के रूप में आया था जिसने लाखों लोगों के हृदय को पृकाशित कर दिया। जिसकी अतुलनीय दयालुता एवं सहनशीलता इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में लिखी जाती है, जो इस विश्व का अत्याधिक प्रभावशाली व्यक्ति गुज़रा, वह कौन है?
आह! और भी दुखद परिस्थितियां!
तायफ़ की सड़कों पर पत्थरबाज़ी से सारा शरीर लहूलुहान, रक्त का बहाव इतना अधिक था कि जूतों के तले ख़ून से लथपथ हो गए, किंतु वह ज़ालिम पत्थरबाज़ी से बाज़ नहीं आए। पैरों का मांस फटकर रक्त का फ़व्वारा फूट पड़ा, और पांव के तलवे जूतों से चिपक गए।

अन्ततः संसार का उत्तम पुरुष बेहोश होकर धरती मां की गोद में लेट गया।
अभी एक महीना भी नहीं बीता था उनके पिता स्वरूप चाचा अबू तालिब और प्रिय अर्धांगिनी ख़दीजा का निधन हुआ था, और हृदय को वीरान कर देने वाली, तायफ़ की यह दुखद घटना घटी। उनकी पत्नी की यादों का संस्मरण ऐसा था कि सालों बाद भी जब उनके हार पर नज़र पड़ी तो, आंखे भर आईं और फूट फूट कर रोने लग गए, इस बात का एहसास हो रहा था कि जब सारा समाज उनके विरूद्ध था उस समय यही एक औरत थी जिसने उनका विश्वास किया, उनका साथ कभी नहीं छोड़ा, उनको दिलासा दिया। इस प्रेमगाथा से हमें उनके उत्तम चरित्र का आभास होता है, जिसने उस ज़ुल्म और जाहिल्यत के समय में भी औरतों को कभी कुचला नहीं बल्कि हमेशा औरतों के पद को ऊंचा रखा, उनके सम्मान के लिए आवाज़ उठाई, अपने वचनों एवं अपने कर्मों से सदैव पितृसत्तात्मक प्रभुत्व का विरोध किया।
यह व्यक्ति कोई और नहीं, अल्लाह के भेजे हुए रसूल (ईश्दूत), करूणा एवं मानवता का प्रतीक, हमारे पैग़म्बर हज़रत मोहम्मद स. थे!
जब लोगों पर उनके द्वारा पठित क़ुरआन के वचनों का मंत्रमुग्ध प्रभाव होने लगा, उनकी आलोचना करने हेतु उन पर जादूगर होने के आरोप लगाए गए, उन पर उपहासपूर्ण व्यंग कसे। अपनी आस्था व्यक्त करने और उसको आचरण में ग्रहण करने के लिए उनको निमर्म यातना पहुंचाई गई- इतने कष्ट एवं घाव झेलने पड़े कि मुहम्मद स. एवं उनके सेवक ज़ैद को तायफ़ छोड़ कर जाना पड़ा।
उनके दुष्कर्मों से गंभीर रूप से पीड़ित एवं चोटिल होने पर, उसने अपनी कराहती हुई आवाज़ में उस सर्वशक्तिमान ईश्वर को पुकारा।
आकाश कांप उठा- स्वर्ग से उसकी पुकार का जवाब आया!
सर्वशक्तिमान ईश्वर ने उसे अवसर दिया, उन दुष्कर्मियों से बदला लेने का- किंतु वह बदला कैसे ले सकता था! वह तो क्षमाशील था! उसने अपने अपराधियों को क्षमा कर दिया!
उस व्यक्ति ने हमें अमर प्रेम के मार्ग पर चलने की सीख दी, न केवल सृष्टा के प्रति- बल्कि उसकी सृष्टि के प्रति भी।
अतः जब लोग तुमसे पूछें कि “मोहम्मद स. कौन थे?”
तुम कहना–
“वह व्यक्ति जो रात के अंधेरों में रोता था– मेरे और तुमहारे लिए।
वह व्यक्ति जिसने उन लोगों को क्षमा कर दिया जिन्होंने उसको पत्थर मार मार कर लहूलुहान कर दिया।
वह व्यक्ति जिसने सदियों के आक्रमण का जवाब विनम्रता से दिया।
वह व्यक्ति जिसने उन लोगों के लिए श्राप को टाल दिया जिन्होंने उसको असहनीय कष्ट दिया।
वह व्यक्ति जिसने उस समय औरतों के स्तर को ऊंचा उठाया जब उन्हें ज़िंदा दफ़ना दिया जाता था।
वह व्यक्ति जिसने लगातार असफ़लताओं के बाद भी कभी आशा नहीं छोड़ी।
वह व्यक्ति जो यहूदी की अर्थी निकलने के समय आदर से खड़ा हो गया।
वह व्यक्ति जिसने मुझे और तुम्हें प्रेम भाव सिखाया।
वह प्रेम भाव जिसे हमने कहीं पीछे छोड़ दिया, जिसे हमने भुला दिया है– किंतु इस संसार को प्रेम से ही जोड़ा जा सकता है।
प्रेम, प्रेम और सिर्फ प्रेम!
मुनीबा तारिक़ के लेख “Forgiveness over revenge” का सना सिद्दीकी द्वारा अनुवाद
Mohd Mukarram
Very good work
Zeba Amin Siddiqui
Jazakallahu khairan aap mein jo translation kiya hai vah bahut Achcha hai Allah aapko aur Taufeeq Ata Karen Ameen